त्रिकरण!
त्रिकरण Three types of pure attitudes of soul involved in penance. जीव के तीन प्रकार के विशुद्ध परिणाम, अधःप्रवृत्तकरण, अपूर्वकरण, अनिवृत्तिकरण। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रिकरण Three types of pure attitudes of soul involved in penance. जीव के तीन प्रकार के विशुद्ध परिणाम, अधःप्रवृत्तकरण, अपूर्वकरण, अनिवृत्तिकरण। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वृषभदेव–Vrsabhadeva. Name of the 1stTirthankar( Jaina – Lord), the son of king Nabhiral& queen Marudevi. भरतक्षेत्त चोबीसो के प्रथम तीर्थकर कुलकर नाभिराय रानी मरूदेवी के पुत्र जिनके ॠषभदेव , पुरुदेव , आदिनाथ आदि नाम प्रसिद्ध हैं बी”
गंडविमुक्त देवी The disciple of maghnandi muni kollapuriya. माघनंदि मुनि कोल्लापूरे के शिष्य तथा भानुकीर्ति व देवकीर्ति के गुरु थे. समय ई. ११३३-११६३। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नाचिराज – Naciraja A kannad poet who wrote a commentary book on ‘Amorkosh’ in kannad. कन्नड़ जैन कवि; उमरकोश की कन्नड़ टिका के कर्ता “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनःशुद्धि – Manahsuddhi. Mental purity. छल कपट आदि समस्त बुरे भावो से विरक्त होना “
इतरेतराभाव Mutual/reciprocal state of non-existence, Respective absence. अन्योन्याभाव-पुद्गल द्रव्य की एक वर्तमान पर्याय में दूसरे पुद्गल की वर्तमान पर्याय का अभाव होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आत्मभूत Integral virtue, self natured, indigenous quality. लक्षण- जो लक्षण वस्तु के स्वरूप में मिला हो उससे मित्र न हो सके, जैसे जीव का लक्षण चेतना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विभंगदर्शन – Vibhamgadarsana. Apprehension of something with false clairvoy-ance. विभंगज्ञान के साथ होने वाला दर्शन “
उत्थितनिविष्ट A type of meditative relaxation (with wrong conceptions). कायोत्सर्ग का एक भेद ध्यान में खड़े हुए भी आत्र्त-रौद्र (खोटे) विचारों का चिंतवन करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव – Bhava. Volition, feeling, thought – activity, Nature of sen-tient and non-sentient matters. जीव के परिणाम, चेतन व अचेतन द्रव्यों के अनेकों स्वभाव “