प्रणाली!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रणाली – Pranaalee. Particular method, System, Water channel, Drain. पद्धति, जलमार्ग, नाली
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रणाली – Pranaalee. Particular method, System, Water channel, Drain. पद्धति, जलमार्ग, नाली
त्रैलोक्यजिनालयव्रत A type of vow (fasting) to be observed for different 48 days in regard to different temples of Teenlok (three worlds). तीन लोक में अकृत्रिम – शाश्र्वत जिन मंदिर 856, 97, 481 है। अधोलोक के भवनवासी देवों के 10 भेदों के मंदिरों की अपेक्षा 10, मध्यलोक के पंचमेरू आदि के 12, वयतरों के 8,…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रचाला – Prachalaa. Drowsiness (Karmic nature causing drowsiness). दर्शनावरण कर्म का एक भेद; जिसके उदय से प्राणी नींद में भी कुछ जागता है और कुछ सोता है “
त्रिषष्टि कर्म प्रकृति Sixty three types of Karmic nature (which are destroyed by Lord Arihant). 63 कर्म प्रकृतियां ,जिनके नाश से अरहंत परमेष्ठी होते है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुक्तादाम–Muktadaam. A type of wreath of pearls. मोतियो से निर्मित मालाये, इन्हें विमानों में लटकाकर उनकी शोबव्रद्धि की जाति है”
दिक्कुमारी Eight particular female deities who come to serve the mother of Tirthankars (Jaina-Lords). श्री, ह्री, घृति, कीर्ति , बुद्धि, लक्ष्मी, शांति और पुष्टी से आठ दिक्कुमारी देवियाँ हैं जो तीर्थंकर माता की सेवा करने के लिए आती है (प्रतिष्ठा तिलक के आधार से)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:सूक्तियां ]] [[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == मनुष्य : == मण्णंति जदा णिच्चं मणेण णिउणा जदो दु ये जीवा। मण उक्कडा य जम्हा तम्हा ते माणुसा भणिया।। —पंचसंग्रह : १-६२ वे मनुष्य कहलाते हैं जो मन के द्वारा नित्य ही हेय—उपादेय, तत्त्व—अतत्त्व तथा धर्म—अधर्म का विचार करते हैं, कार्य…
त्रिवर्णाचार A book written by Somdeva Bhattarak. सोमदेव भाट्ठारक (ई. 1610) कृत पूजा- अभिषेक, सूतक- पातक आदि विषयक ग्रंथ। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनुष्यसिद्ध – Manushyasiddha. Those salvated from human destinity. मनुष्य गति से सिद्ध होने वाले जीव अल्पबहुत्व की अपेक्षा ये संख्यात गुणे है “
चतुर्दश पूर्वित्व A type of supernatural power possessed by great saints (Shrut Kevalis). एक प्रकार की ऋद्धि. द्वादशांग श्रुतज्ञान को धारण करने वाले महर्षि अर्थात् श्रुतकेवली इस ऋद्धि के धारी होते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]