दश विकार!
दश विकार Ten types of lustful sensual desires of human being. काम के वेग चिंता, स्त्री को देखने की इच्छा , दीर्घनिःश्वास, ज्वर, शरीर का दग्ध होना, भोजन न रूचना , मूर्छा की गोचरी आदि वृत्तियों का वर्णन किया गया है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दश विकार Ten types of lustful sensual desires of human being. काम के वेग चिंता, स्त्री को देखने की इच्छा , दीर्घनिःश्वास, ज्वर, शरीर का दग्ध होना, भोजन न रूचना , मूर्छा की गोचरी आदि वृत्तियों का वर्णन किया गया है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] विजयमती (आर्यिका) – Vijayamatii (Aaryikaa).: Name of a female Jain ascetic,the disciple of Acharya Vimalsagar Maharaj and Belonging to Ankalikar Tradition. आचार्य श्री विमलसागर महाराज की शिष्या एवं अंकलीकर परम्परा की गणिनी आर्यिका (समय –ई.20 वीं शताब्दी )”
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मंगला:A type of super power with auspicious verses or texts, Mother’s name of Lord Sumatinath. कल्याणक मंत्रो से परिष्कृत एक विद्या, तीर्थं कर सुमतिनाथ की माता (अपरनाम-सुमंगला) “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] विच्छेद – Viccheda.: Destruction,separation,discontinuity. वियोग,अंतराल “श्रुत तीर्थ धर्म प्रवर्तन का कारण है यह काल दोष से 20317 वर्षों में व्युच्छेद को प्राप्त हो जायगा “
ईर्यापथकर्म Flow of non – binding Karmas. योग से जिन कर्मों का आस्रव होता है पर बंध नहीं होता अगले भव में बिना फल दिये ही झड़ जाते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] विक्रम संवत् – Vikrama Sanvat.: An era established after 470 years of the salvation of Lord Mahavira. वीर निर्वाण के 470 वर्ष पश्चात् राजा विक्रमादित्य के नाम पर शुरू हुआ संवत “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुद्ध परिणाम – Shuddha Parinaama. Passionless (pure) sentiments, volition of disattachment from the world. रागद्वेष रहित वीतराग भाव “
देवविमान Space vehicles of deities. देवों के विमान, तीर्थंकर की माता के 16 स्वप्नों में 13 वां स्वप्न जिसका फल यह होता है कि उत्पन्न होने वाला ‘जीव स्वर्ग से अवतीर्ण होगा। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
घातायुष्क A type of deities (who are born in lower heavens due to degradation). जो अधिक आयु बांधकर बाड़ में संक्लेश परिणामों के कारण नीचे के स्वर्गों में उत्पन्न होते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भ्रांत:Invalid, Incorrect, Name of the 4th Patal (layer) of the 1st earth. भूला हुआ, कुपथगामी, भूल, प्रथम पृथ्वी का चतुर्थ पटल “