परंपरा गुरू!
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परंपरा गुरू :Acharyas of Moolsangh in the tradition of Gautam Swami. गौतम स्वामी की परम्परा में मूलसंघ के आचार्यगण ।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परंपरा गुरू :Acharyas of Moolsangh in the tradition of Gautam Swami. गौतम स्वामी की परम्परा में मूलसंघ के आचार्यगण ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाह्य कक्ष – Bahya Kaksa. Exterior cells. आंगन , बरामदा आदि “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यक्तराग –Vyaktaraga. Expressible attachment. जो राग प्रगट रूप में रहता हैं “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == श्रुत : == अर्हद्भाषितार्थं, गणधरदेवै: ग्रन्थितं सम्यक्। प्रणमामि भक्तियुक्त:, श्रुतज्ञानमहोदिंध शिरसा।। —समणसुत्त : १९ जो अर्हत् के द्वारा अर्थरूप में उपदिष्ट है तथा गणधरों के द्वारा सूत्ररूप में सम्यक् गुंफित है, उस श्रुतज्ञान रूपी महािंसधु को मैं भक्तिपूर्वक सिर नवाकर प्रणाम करता हूँ।
चूड़ादेवी Mother’s name of the 12th Chakravarti (emperor) ‘Brahmadatta’. १२वें चक्रवर्ती ब्रह्मदत्त की माता का नाम . अपरनाम – चूला।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == विरक्त : == भावे विरक्तो मनुजो विशोक:, एतया दु:खौघ—परम्परया। न लिप्यते भवमध्येऽपि सन् , जलेनेव पुष्करिणीपलाशम्।। —समणसुत्त : ८१ भाव से विरक्त मनुष्य शोक—मुक्त बन जाता है। जैसे कमलिनी का पत्र जल में लिप्त नहीं होता, वैसे ही वह संसार में रहकर भी अनेक दु:खों की परम्परा से…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शून्य वर्गंणा – Shunya Varganaa. A type of Karmic aggregates. वर्गणाओं का एक प्रकार “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रह्मोत्तर (स्वर्ग) – Brahmottara (Svarga ). The sixth heaven. छठा स्वर्ग; इस कल्प में एक लाख ४ हजार विमान हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शूद्र वंश – Shudra Vansha. The lineage of Shudras(see-Shudra). भगवान ऋषभदेव द्वारा स्थापित क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र इन तीन वर्णों में एक वर्ण “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्त्यानत्रिक – Styanatrika. A triplet of karmic nature related to sleepiness.स्त्यानगृद्वि, निद्रानिद्रा, प्रचलाप्रचला ये तीन कर्म प्रकृतियाॅ स्त्यानत्रिक कहलाती है।