निश्चय संवर!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय संवर – Nishchaya Sanvara. Complete stoppage of sensual pleasures with absolute engrossment into self. 5 इंद्रियों के विषयों से निवृत हो शुद्धात्मतत्व रूप परिणति “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय संवर – Nishchaya Sanvara. Complete stoppage of sensual pleasures with absolute engrossment into self. 5 इंद्रियों के विषयों से निवृत हो शुद्धात्मतत्व रूप परिणति “
चतुर्दश परिग्रह Fourteen types of internal attachments. १४ प्रकार के अन्तरंग परिग्रह- मिथ्यात्व , हास्यादि नव नोकषाय एवं क्रोधादि चार कषाय ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शाश्वत उपादान – Shashvata Upaadaana. Undestroybale properties of a substance. द्रव्य के दो अंशॉन में एक अंश-गुण; जो शाश्वत होने के कारण अपने स्वरुप को त्रिकाल में भी नहीं छोड़ते “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय प्राण – Nishchaya Praana. Absolute consciousness. शुद्ध ज्ञान व दर्शन निश्चय प्राण है “
त्रिवर्गगतवाद A doctrine of solitariness. एक एकांत मत। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
उपात्त Assimilated, Acquired matters (dravyas) . आत्मा के रागादि परिणामों से कर्म और नोकर्मरूप में जिन पुद्गल द्रव्यों को ग्रहण किया जाता है वे उपात्त कहलाते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजगृह – तीर्थकर मुनिसुव्रतनाथ के चार कल्याणक गर्भ, जन्म, दीक्षा, और केवनज्ञान प्राप्ति की भूमि एवं भगवान महावीर स्वामी की प्रथम दिव्य देषना भूमि, ये मगध देष की राजधानी थी तथा यहा राजा श्रणिक राज करते थे।यहा से जीवधर कुमार, सुधर्माचार्य आदि अनेक साधु मोक्ष गये हैं।यहां विपुलाचल आदि पाच पर्वत है इसलिए इसे…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लौकिक सुख –Laukika Sukh: Worldly enjoyments or pleasures . सांसारिक विषय भोगों से प्राप्त होने वाला क्षणिक सुख “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयोगगति – Sanyogagati. Motion with support (like motion of chariot by elephant etc). मेघ, रथ, मूसल, आदि की क्रमशः वायु, हाथी तथा हाथ के संयोग से होने वाली गति “
देशी नाममाला A Sanskrit dictionary. एक संस्कृत शब्द कोश।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]