देशीय गण!
देशीय गण A branch of Nandisangh. नंन्दिसंघ की एक शाखा।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
श्वेताम्बर – Shvetaambara. A Jaina sect originated from the division of Moolsangh (Digambar). दिगम्बर मान्यतानुसार भगवान महावीर के पश्चात् मूलसंघ दिगम्बर ही था ” बाद में (आज से लगभग दो हजार वर्ष पूर्व) उत्तर भारत में दुर्भिक्ष अकाल पड़ने के कारण कुछ शिथिलाचारी साधुओ ने स्वेताम्बर संघ की स्थापना की “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयत – Sanyata. One with control & restraints, Another name of Digambar Jaina saint. महाव्रती श्रमण संयत कहलाता है ” संयत जीव छठे से चौदहवें गुणस्थान तक 9 गुणस्थानों में पाये जाते हैं ” दिगम्बर मुनि का अपरनाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रोता – Shrotaa. Listeners. धर्म को सुनने वाले पुरुष ” गुण-दोषों की अपेक्षा इनके 14 भेद हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संमूर्च्छन – Sammoorchchhana. Spontaneous birth (formation of body organs or limbs by surrounding matter). जो जीव स्त्री-पुरुष के संयोग के बिना ही वातावरण में बिखरे हुए परमाणुओं के योग से उत्पन्न होते हैं वे संमूर्च्छन कहलाते हैं ” सभी प्रकार के पेड़-पौधे, शेष एक इन्द्रिय तथा दो इन्द्रियादि कीड़े-मकोड़े आदि “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रुतसागरी – Shrutasaagaree. Name of a commentary book on Tattvarthvritti written by Bhattarak Shrutsagar. श्रुतसागर भट्टारक कृत तत्वार्थवृत्ति की टीका का नाम
देवेन्द्रकीर्ति Name of Bhattaraks (of Nandisangh etc.) नन्दिसंघ सूरत शाखा के आद्य भट्टारक (ई. 1393-1442). कथाकोष आदि के रचयिता सांगानेर के भट्टारक (वि. 1640-1662)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रीसंप्रदाय – Shreesampradaaya. The first sect of Vaishnava philosophy of all 4. वैष्णव दर्शन के 4 सम्प्रदायों में प्रथम संप्रदाय ” इस संप्रदाय में विशिष्टाद्वैतवादी है जो रामानंदी भी कहलाते है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संहनन – Sanhanana. Strength of bodily structure or skeleton. हड्डियों के संचय या दृढ़ता को संहनन कहते हैं “
देव ऋद्धि दर्शन A cause of attainment of right faith (perception). सम्यग्दर्शन की उत्पत्ति का एक कारण सौधर्मेन्द्रादिक देवों की महाऋद्धियों को देखकर सामान्य मिथ्यादृष्टि देवों में सम्यग्दर्शन की उत्पत्ति होती है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]