शुक्र (स्वर्ग)!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुक्र (स्वर्ग) – Shukra (Svarga). The 9th Kalp (heaven)among all 16. 16 कल्पों में 9वां कल्प या स्वर्ग ” यहाँ के देवों की उत्कृष्ट आयु 16 सागर है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुक्र (स्वर्ग) – Shukra (Svarga). The 9th Kalp (heaven)among all 16. 16 कल्पों में 9वां कल्प या स्वर्ग ” यहाँ के देवों की उत्कृष्ट आयु 16 सागर है “
देवशर्मा The 5th chief disciple of Lord Rishabhanath. भगवान ऋषभदेव के 84 गणधरों में से 5वें गणधर का नाम।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचाचार – Panchaachaara. Five kinds of special right conducts observed by Jaina Acharya. सम्यग्दर्शनाचार, ज्ञानाचार, चारित्राचार, तपाचार, और वीर्याचार ये पंचाचार कहे जाते हैं” जैन आचार्य इनका प्रमुखतासे पालन करते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वाचनिक आस्रव– Vaachanika Aasrava.: Karmic influx caused due to auspicious & inauspicious speeches. शुभ-अशुभ वचनों से होने वाला शुभाशुभ कर्मास्रव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शीलसप्तमी व्रत – Sheelasaptamee Vrata. A kind of fasting foe 7 years with specific procedure. सात वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल 7 को उपवास तथा णमोकार मंत्र त्रिकाल जाप करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचविंशतिका – Panchavinshatikaa. Name of a book written by Acharya Somdev-2. आचार्य सोमदेव-2 (ई. सन् 1062-1081) कृत एक ग्रंथ “
चोरी- बिना दी हुई वस्तु का लेना चोरी स्तेयहै। इस कथन का अभिप्राय है कि बाह्य वस्तु ली जाय या न ली जाय किंतु जहाँ संक्लेशरूप परिणाम के साथ प्रवृति होती है, वहाँ चोरी का दोष लगता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]