निश्चय आलोचना!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय आलोचना – Nishchaya – Aalochanaa. Absolute introspection. जीव द्वारा परिणामों को समभाव में स्थापित कर निज आत्मा में तन्मय होना निश्चय आलोचना है”यह मुनि अवस्था में घटित होती है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय आलोचना – Nishchaya – Aalochanaa. Absolute introspection. जीव द्वारा परिणामों को समभाव में स्थापित कर निज आत्मा में तन्मय होना निश्चय आलोचना है”यह मुनि अवस्था में घटित होती है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वेतरणी –Vetarani. Name of a river of hell. नरक लोक की नदी ” जो खून , पीप से भरी हुई है और उसमे प्रवेश करने वाले को दाह उत्पन्न कराती है “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यमकगिरी–Yamakgiri. See – Yamak. देखे–यमक” गोल, उचाई 1000 योजन, नीचे की चौड़ाई 1000योजन, ऊपर की चौड़ाई 500 योजन” इन पर इसी नाम के धारक देव रहते है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शर्कराप्रभा – Sharkaraaprabhaa. The 2nd land od hell. नरक की दूसरी पृथिवी, अपरनाम वंशा है ” इसकी प्रभा शर्करा के सामान है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्व्याघात – Nirvyaaghaata. Lack of forceful impact or splitting. स्तिथिकाण्डकघात का अभाव निर्व्याघात कहलाता है “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == स्नेह : == नियलेहि पुरिओ च्चिय वच्चइ पुरितो जहिच्छियं देसं। एक्कं पि अंगुलमिणं, न जाइ घणनेह—पडिबद्धो।। —पउमचरिउ : ५६९ जंजीरों से बंधा हुआ मनुष्य इच्छानुसार देश में जा सकता है, पर घने स्नेह से जकड़ा हुआ मनुष्य एक अंगुल भी नहीं जा सकता।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकोत्तर चेतना –Lokottara Chetana : Right consciousness (of one). ज्ञान या परमार्थ चेतना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्वेदिनी कथा – Nirvedini Kathaa. See – Nirvegini Kathaa. देखें – निर्वेगिनी कथा “
आविर्भाव Manifestation, Emergence, Appearance. अभिव्यक्ति प्रकट होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]