प्रमार्जित!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमार्जित- पिच्छी आदि कोमल उपकरण से साफ की हुई भूमि आदि। Pramarjita- Carefully purified place, body etc
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमार्जित- पिच्छी आदि कोमल उपकरण से साफ की हुई भूमि आदि। Pramarjita- Carefully purified place, body etc
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बीजरुह – Bija Ruha. Vegetation produced by seeds (like rice ,wheat etc.). वनस्पति; जो बीज से ही उत्पन्न होती है ” जैसे – चावल, गेहूं आदि “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्येक भंग- जहां अलग-अलग भाव हो वह प्रत्येक भंग है। pratyeka bhamga – each part, different feelings.
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्येक पद- जो भ्ज्ञाव एक जीव के एक काल में यगपत संभव हो ऐसे भाव प्रत्येक पद कहलाते है। pratyeka pada – feelings simultaneously existing of one in a praticular time period
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमदा- प्रमाद की बहुलवा से स्त्रियों को प्रमदा कहते हैं, समवषरण की नाट्यषाला। Pramada- Lustful women, Name of a stage of drama in Samavasharan- assembly of Lord
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रभावना- सम्यग्दर्षन ज्ञान चारित्र रुप रत्नत्रय के प्रभाव से आत्मा को प्रकाषमान करना। ज्ञान,ध्यान, तप, दया, दान, जिन पूजा आदि के द्वारा जिनधर्म की महिमा को प्रकाषित करना। Prabhavana – Glorification, Promotion (influencing pertaining to religion)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहस्रनाम विधान – Sahasranaama Vidhanaa. A composition of worshipping hymn composed by Ganini Aryika Shri Gyanmati Mataji. श्री जिनसेनाचार्य द्वारा रचित सहस्रनाम स्तोत्र के आधर पर गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा सन 1954 में रचे गये 1008 मंत्रों के अर्थ को छन्दों में निबद्ध करके रचित 1008 अध्र्यो वाला विधान ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहभोजन – Sahabhojana. Taking food togetherly. एक साथ भोजन करना ।
ईर्यापथ आस्रव A type of Karmic flow. जो कर्म वर्गणा मात्र योगों से आये कषाय का उदय न हो यह 11 वें, 12 वें व 13वें गुणस्थान में होता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
तीर्थंकर- संसार से पार होने के कारण को तीर्थ कहते हैं। उसके समान होने से आगम को तीर्थ कहते है, उस आगम के कर्ता तीर्थंकर है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]