लोभी :!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == लोभी : == सुवर्णरूप्यस्स च पर्वता भवेयु:, स्यात् खलु कैलाससमा असंख्यका:। नरस्य लुब्धस्य न तै: किंचित्, इच्छा खलु आकाशसमा अनन्तिका।। —समणसुत्त : ९८ कदाचित् सोने और चाँदी के कैलास के समान असंख्य पर्वत हो जाएं, तो भी लोभी पुरुष को उनसे तृप्ति नहीं होती, क्योंकि इच्छा आकाश के…