सत्संग :!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सत्संग : == धुनोति दवयुं स्वान्तात्तनोत्यानंदथुं परम्। धिनोति च मनोवृत्तिमहो साधु—समागम:।। —आदिपुराण : ९-१६० साधु पुरुष का समागम मन से संताप को दूर करता है, आनन्द की वृद्धि करता है और चित्तवृत्ति को संतोष देता है।