पुरषार्थ सिद्ध्युपाप में वर्णित निश्चय और व्यवहार नय!
पुरषार्थ सिद्ध्युपाप में वर्णित निश्चय और व्यवहार नय डॅा॰ अशोककुमार जैन जीवादि तत्व अनेकान्तात्मक हैँ इसलिए जिनेन्द्रदेव ने उनकी प्ररूपणा निश्चय ओर व्यवहारनयों के आश्रय से की है। गुरु भी शिष्यों के अज्ञान की निवृत्ति के लिए निश्चय और व्यवहारनयों का अवलम्बन कर वस्तु स्वरूप का विवेचन करते हैं जैसा कि आचार्य अमृतचन्द्र ने लिखा…