स्याद्वाद के सात भंग और आधुनिक विज्ञान!
स्याद्वाद के सात भंग और आधुनिक विज्ञान अनिल जैन’ सारांश दार्शनिक विषयों के विवेचन में अनेक विषय इस प्रकार के उपस्थित होते हैं जब निश्चय पूर्वक ‘हाँ’ या ‘ना’ में कथन करना संभव नहीं होता है। ईसा पूर्व की शताब्दियों से ही जैन एवं जैनेतर आचार्यों के सम्मुख इसके कथन की पद्धति रही है, किन्तु…