शनिग्राहारिष्टनिवारक श्री मुनिसुव्रतनाथ चालीसा
शनिग्रहारिष्टनिवारक श्री मुनिसुव्रतनाथ चालीसा दोहा श्री मुनिसुव्रत पद कमल,शत शत करूं प्रणाम | जिनशासन के सूर्य वे,करें स्व पर कल्याण ||१|| त्रैलोक्याधिपती बने, कर्मशत्रु को जीत | चालीसा उनका कहूँ , पाऊं आत्मनवनीत ||२|| चौपाई जय जय श्री मुनिसुव्रत स्वामी, तीन लोक में हो तुम नामी ||१|| नृप सुमित्र के गृह तुम जन्में , सोमावति...