03. सुदं मे आउस्संतो ! (श्रावक धर्म) (अमृतर्विषणी टीका)
सुदं मे आउस्संतो ! (श्रावक धर्म) (अध्याय ३)(अमृतर्विषणी टीका) श्री गौतमस्वामी कहते हैं—‘‘पढमं ताव सुदं मे आउस्संतो।’’हे आयुष्मन्तों भव्यों ! मैंने प्रथम ही सुना है। क्या सुना है ? ‘‘गिहत्थधम्मं’’ गृहस्थ धर्म सुना है। किनसे सुना है ? इह खलु— ‘‘भयवदा महदिमहावीरेण’’ यहां (विपुलाचल पर्वत पर) भगवान महतिमहावीर के श्रीमुख से सुना है। ये भगवान…