05. संज्ञा
संज्ञा (पंचम अधिकार) संज्ञा का लक्षण इह जाहि बाहिया वि य, जीवा पावंति दारुणं दुक्खं। सेवंता वि य उभये, ताओ चत्तारि सण्णाओ।।३९।। इह याभिर्बाधिता अपि च जीवा: प्राप्नुवन्ति दारुणं दु:खम्। सेवमाना अपि च उभयस्मिन् ताश्चतस्र: संज्ञा:।।३९।। अर्थ—जिनसे संक्लेशित होकर जीव इस लोक में और जिनके विषय का सेवन करने से दोनों ही भवों में दारुण…