हे मात आज तुमसे, वरदान मैं ये चाहूँ!
हे मात आज तुमसे तर्ज—दिन रात मेरे स्वामी मैं भावना ये भाऊँ….. हे मात आज तुमसे, वरदान मैं ये चाहूँ। वरदान…… तुम सम निधी को पाकर, निज ज्ञान में समाऊँ।। निज ज्ञान……।। टेक.।। वैसी भी स्थिती हो, धीरज मेरा न छूटे। तेरा ही ध्यान धर के, सब विघ्न मैं भगाऊँ।। हे मात……।।१।।…