जैन साहित्य का संक्षिप्त इतिहास प्रस्तुति – प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती माताजी परिचय हिन्दी के प्रसिद्ध कवि मैथिलीशरण गुप्त ने एक कविता में लिखा है- अंधकार है वहाँ जहाँ आदित्य नहीं है। निर्बल है वह देश जहाँ साहित्य नहीं है।। अर्थ- किसी भी देश का गौरव वहाँ के साहित्य भण्डार से आंका जाता है यह बात…
जैन धर्म की प्राचीनता और स्वतंत्रता के विषय में विभिन्न न्यायालयों के निर्णय जैन धर्म की प्राचीनता और स्वतंत्रता के विषय में समय—समय पर अदालतों में पेश किए गए देश की उच्चतम एवं प्रदेशों की उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों ने निष्पक्ष होकर जैनधर्म के बारे में जो अपने सटीक निर्णय प्रस्तुत किए थे उनकी संक्षिप्त…
भारतीय इतिहास के पूरक प्राकृत साक्ष्य भारतीय वाङ्मय के उन्नयन एवं विकास में जिन वरेण्य आचार्य लेखकों ने अपनी अनवरत साधना, गहन चिन्तन एवं अथक परिश्रम के द्वारा उल्लेख योगदान किया है, उन्में जैनाचार्यों द्वारा लिखित उनके बहुआगामी विभिन्न भाषात्मक साहित्य की उपेक्षा नहीं की जा सकती। क्योंकि भारतीय जीवन का शायद ही ऐसा कोई…
जैन परम्परा और कला में सारनाथ— वाराणसी डॉ. शान्ति स्वरूप सिन्हा बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ और वाराणसी नगर दोनों का जैन परम्परा एवं कला में महत्व रहा है। वाराणसी का उल्लेख विभिन्न जैन ग्रन्थों यथा—प्रज्ञापना, ज्ञाताधर्मकथा उत्तराध्ययनचूर्णि, कल्पसूत्र, उपासकदशांग, आवश्यकनिर्युक्ति, निरयावलिका, अन्तकृतदशासत्येन्द्र मोहन जैन, दिगम्बर जैन श्रीपार्श्र्वनाथ जन्मभूमि मन्दिर, भेलूपुर, वाराणसी का ऐतिहासिक…