पंचकल्याणक सम्बन्धी आवश्यक विधि
प्रतिष्ठाचार्यों के लिए संक्षिप्त निर्देशन -गणिनी ज्ञानमती (१) प्रतिष्ठाग्रंथ एक किन्हीं का विरचित ही लेना चाहिए। संकलित-वर्तमान साधु या विद्वानों का संकलित न हो। प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज की परम्परा में एवं अंकलीकर आचार्यों की परम्परा में भी तथा दक्षिण में भी सर्वमान्य प्रमाणीक ‘प्रतिष्ठातिलक ग्रंथ’ सर्वांगीण है। उसी से प्रतिष्ठा विधि कराना चाहिए।…