जैन स्तोत्र और भगवान पार्श्वनाथ -डॉ. कपूरचंद जैन- खतौली भारतीय धर्मों/दर्शनों में जैन धर्म/दर्शन का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है। यही एक दर्शन है जो पूर्णत: व्यक्ति स्वातन्त्र्य की घोषणा करता है। जैनधर्म/दर्शन की प्राचीन भाषा प्राकृत रही है। प्राकृत भाषा में स्तोत्र वे लिए ‘थुई’ और ‘थुदि’ इन दोे शब्दों का प्रयोग मिलता है। संस्कृत…
भगवान पार्श्व के १०८ सिद्धस्थान ग्वालियर, पौराणिक साक्ष्यों के अनुसार नेमिनाथ भगवान से संबद्ध महाभारत कालीन नगर सुप्रतिष्ठ केवली की निर्वाणभूमि है। भगवान पार्श्र्वनाथ की ४२ फीट पद्मासन विश्व की सर्वाधिक विशाल प्रतिमा एक पत्थर की बावड़ी पर स्थित है। भगवान पार्श्र्वनाथ के चमत्कारिक वृत्तांतों के रूप में अनेक कथायें प्रचलित हैं। देवभद्रपुरी का पार्श्र्वनाथ…
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भगवान पार्श्वनाथ की जीवनपद्धति एवं उपदेशों की प्रासंगिकता डॉ. कु. मालती जैन-मैनपुरी जिनके बचन, उर धरत जुगल नाग। भये धरणेन्द्र पद्मावती पलक में। जाकी नाम महिसा सों कुधातु कनक वनै। पारस पखान नामी भयो है खलक में। जिनकी जनमभूमि नाम के प्रभाव हम। आपन सरूप लख्यो भानु सी भलक में। तेउ प्रभु…