श्री १००८ भगवान पार्श्वनाथ चरित्र पं. लालचंद्र जैन ‘राकेश’, गंजबासौदा मंगलाचरण दुर्जयमोहमहारिपुनाशक, आर्हन्त्यपद के धारी। केवलज्ञानलक्ष्मीमंडित, गुण अचिन्त्य-अतिशयकारी।। रत्नत्रयात्मक मोक्ष मार्ग के, परम प्रणेता, मंगलधाम। उग्रवंश नभ विमल चन्द्रमा, पार्श्वनाथ को कोटि प्रणाम।।१।। भूमिका यह संसार महासागर है, चारों गतियाँ गर्त समान। इनमें भ्रमण कर रहा चेतन, अनादिकाल से वश अज्ञान।।…
भगवान पार्श्वनाथ का सचित्र जीवन प्रस्तुति-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी भगवान पार्श्वनाथ १०वें भव पूर्व-मरुभूति पोदनपुर में महाराजा अरविन्द अपनी राजसभा में स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान थे। उनके विश्वभूति नामक मंत्री ने राज्य के कुशल समाचार बताकर महाराज से जिनदीक्षा की आज्ञा मांगते हुए अपने पुत्र कमठ और मरुभूति को महाराज के चरणों में…
भगवान पार्श्वनाथ जीवन दर्शन भगवान पार्श्वनाथ के दशभव लेखिका-गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी पोदनपुर में महाराज अरविन्द की राजसभा-राजसभा में दरबार लगा हुआ है। मध्य में स्वर्ण का सिंहासन है। उस सिंहासन के छत्र में वैडूर्यमणि जड़ा हुआ है। जिसकी नीली-नीली आभा चारों तरफ अपना नील प्रकाश फैलाकर राजभवन में मानों नीले-नीले आकाश को ही उतार…
भगवान पार्श्वनाथ तेइसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का जीवन दर्शन जन्म भूमि वाराणसी (उत्तर प्रदेश) प्रथम आहार गुल्मखेट नगर के राजा धन्य द्वारा (खीर) पिता महाराजा अश्वसेन केवलज्ञान चैत्र कृ. ४ (१४) माता महारानी वामादेवी (ब्राह्मी) मोक्ष श्रावण शु. ७ वर्ण क्षत्रिय मोक्षस्थल सम्मेद शिखर पर्वत वंश उग्रवंश समवसरण में गणधर श्री स्वयंभू आदि १० देहवर्ण…