जैन पुरातत्व और मूर्तिकला डॉ. भागचन्द्र जैन भास्कर, सदर नागपुर (महा.) पुरातत्त्व प्राचीन तत्त्वों का आंकलन है जो भूगर्भ से प्राप्त होते हैं या शिलालेखों, ताम्रपत्रों आदि पर रहते हैंं। साहित्यिक प्रमाणों के समर्थन में पुरातत्त्व की अहम् भूमिका रहती हैं। परम्परा, इतिहास, संस्कृति, मूर्तिकला, स्थापत्य आदि क्षेत्रों की यथार्थता के अन्वेषण से सम्बद्ध…
राजगृह दुर्ग का जैन पुरातत्व: एक सर्वेक्षण उमेश कुमार सिंह प्रवक्ता प्राचीन इतिहास पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग, उदय प्रताप स्वायत्तशासी कॉलेज, वाराणसी। सारांश राजगृह (राजगिरि) की पंच पहाड़ियों की प्राकृति स्थिति में दुर्ग का रूप दे दिया है। इस प्राकृतिक दुर्ग की पंच पहाडियों पर स्थित जैन पुरातात्विक अवशेषों, जिन प्रतिमाओं का विस्तृत सर्वेक्षण प्रस्तुत…
श्री मांगी तुंगी जी दि0 जैन सिद्ध क्षेत्र, मांगीतुंगी पो0 मांगी तुंगी, तह- सटाणा, जिला- नासिक,महाराष्ट्र क्षेत्र परिचय- यह सिद्ध क्षेत्र सूरत से 225 किमी0 की दूरी पर स्थित है यहाँ से गजपंथा 125 किमी0, महुआ 180 किमी0, एलोरा 190 किमी0, पैठन 260 किमी0 की दूरी पर स्थित है। यहाँ का रेल्वे स्टेशन मनमाड 100…