For sometime you sit in lotus posture and concentrate on a Mantra. I will tell you today, how to do meditation. Please give attention and keep your one palm on another palm.The right palm should be upside. Now close your eyes and keep your body fully straight.Firstly you imagine a white big background in front…
अर्हं बीजाक्षर का ध्यान! – पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी सर्वप्रथम पद्मासन या अर्द्धपद्मासन लगाकर बैठें नासाग्र दृष्टि रखें नहीं तो आँख बंद करके भी बैठ सकते हैं ” योग मुद्रा में बैठें “अपने अंतर्चक्षु से देखें कि हमारे ह्रदय में एक सुन्दर कमल खिला हुआ है ” बहुत सुन्दर सोलह पंखुड़ियों का…
टेंशन का उपचार मेडीसिन नहीं मेडीटेशन है —आचार्य विनम्रसागर जी महाराज वर्तमान युग में जितने ज्यादा साधन सुविधाएँ उपलब्ध हुई उतना जीवन स्तर का विकास तो हुआ लेकिन आदमी आलसी और कमजोर होता गया। इस कमजोरी का एक लक्षण टेंशन भी है। साहसी और धैर्यवान प्राणी मुसीबतों में घबराते नहीं है उनसे डटकर मुकाबला करते…
ध्यान का स्वरूप और परिणाम: एक अनुशीलन ज्योतिबाबू जैन सारांश भारतीय वाङ्ग मय में ध्यान के स्वरूप, अर्थ, भेद—प्रभेदों पर विस्तृत रूप में चर्चा की गई है। श्रमण एवं वैदिक दोनों परम्परा के ग्रंथों में ध्यान के अनेक नामों से उल्लेख एवं विवेचन मिलते हैं। प्रस्तुत आलेख में पिंडस्थ, रूपस्थ, पदस्थ एवं रूपातीत सभी प्रकार…
ॐ का ध्यान पदस्थ ध्यान कैसे प्रारंभ करें?-सर्वप्रथम आप शुद्धमन से शुद्धवस्त्र धारण कर किसी एकांत स्थान अथवा पार्व जैसे खुले स्थान पर पद्मासन, अर्धपद्मासन अथवा सुखासन से बैठ जाएँ। शरीर पर पहने हुए वस्त्रों के अतिरिक्त समस्त परिग्रह को त्यागकर स्वाधीनता का अनुभव करते हुए तन-मन में शिथिलता का सुझाव दें और हाथ जोड़कर…
ध्यान : एक विश्लेषण भारतवर्ष में ध्यान की एक लंबी परम्परा रही है। इसकी सहायता से व्यक्ति पूर्ण अध्यात्म को प्राप्त कर सकता है। पूर्ण अध्यात्म से तात्पर्य मोक्ष, केवल्य एवं निर्वाण माना गया है। यहाँ चार पुरुषार्थ माने गये हैं—धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। मोक्ष सर्वोच्च पुरुषार्थ है। इसकी प्राप्ति में शेष तीन पुरूषार्थ…
ध्यान की आवश्यकता आर्तं रौद्रं च दुध्र्यानं, निर्मूल्य त्वत्प्रसादत:। धर्मध्यानं प्रपद्याहं, लप्स्ये नि:श्रेयसं क्रमात्।।११।। हे भगवान! आर्त-रौद्र इन दो दुध्र्यानों को आपके प्रसाद से निर्मूल करके मैं धर्मध्यान को प्राप्त करके क्रम से मोक्ष को प्राप्त करूँगा। ड एकाग्रचिन्तानिरोध होना अर्थात् किसी एक विषय पर मन का स्थिर हो जाना ध्यान है। यह ध्यान उत्तम…