2.02 वृहत्प्रत्याख्यान, संस्तर-स्तव अधिकार का सार- मूलाचार ग्रन्थ से
वृहत्प्रत्याख्यान, संस्तर-स्तव अधिकार का सार( मूलाचार ग्रन्थ से ) प्रत्याख्यान और संस्तर स्तव इन दो विषयों को जानने वाले जो मुनि हैं, उनमें और इन दोनों विषयों में अभेद है, ऐसा दिखलाकर इस दूसरे अधिकार में प्रत्याख्यान संस्तर-स्तव का वर्णन किया है। अथवा यतियों के छह काल होते हैं-दीक्षाकाल, शिक्षाकाल, गणपोषण काल, आत्मसंस्कार काल, सल्लेखना...