आचार्य श्री शांतिसागर जी काव्य कथानक
काव्य कथानक प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर काव्य कथानक (१) जन्म, बाल विवाह एवं ब्रह्मचारी जीवन भव्यात्माओं! संसार के रंगमंच पर अनन्त प्राणी अपना-अपना जीवन व्यतीत करके चले जाते हैं और पुन: पुन: चारों गति में परिभ्रमण करते हुए चौरासी लाख योनियों में दु:ख भोगते रहते हैं। कभी कोई बिरले पुण्यात्मा जीव होते हैं जो मानव जीवन…