अभ्यंतर व बाह्य परिग्रह
अभ्यंतर व बाह्य परिग्रह पाक्षिक प्रतिक्रमण पाठ में—अभ्यंतर परिग्रह में श्री गौतमस्वामी ने आठ कर्म के ८ भेद कहे है—पुनः बाह्य- परिग्रह के अनेक भेद कहे हैं। यथा— अहावरे पंचमे महव्वदे परिग्गहादो वेरमणं, सो वि परिग्गहो दुविहो, अब्भंतरो बाहिरो चेदि तत्थ अब्भंतरो परिग्गहो णाणवरणीयं दंसणावरणीयं वेयणीयं मोहणीयं आउग्गं णामं गोदं अंतरायं चेदि अट्ठविहो, तत्थ बाहिरो…