सन्डे हो या मन्डे, कोई कभी न खाये अंडे संजय जैन क्या तुमने कभी सोचा है की – अंग लाश के खा जाए क्या फ़िर भी वो इंसान है ? पेट तुम्हारा मुर्दाघर है या कोई कब्रिस्तान ? आँखे कितना रोती हैं जब उंगली अपनी जलती है।। सोचो उस तड़पन की हद जब जिस्म पे…
मांस निर्यात— पिंक रेवोलूशन जिस भारत देश में, दूध की नदियाँ बहती थीं, अब खून की नदियाँ , बहने वाली हैं। आ रही हैं, पिक क्रांति योजना, है भारत सरकार की, सभी मवेशी, आधुनिक यंत्रों से, क्षणभर में वध हो जायेंगे। सरकार को अब, पशुओं से दूध नहीं, उनका मांस चाहिए, गोबर नहीं चमड़ा चाहिए।…
शाकाहार के लिए सही समझ ‘शाकाहार’ का सीधा-सादा अर्थ है – जीवन का क्रम जिसमें दूसरों के लिए समुचित आदर और आत्मीय गुँजाइश हो और सब सारा सिर्फ खुदगर्जी या स्वार्थ पर टिका हुआ न हो। शाकाहार का मतलब सिर्फ भोजन या आहार ही नहीं है वरन् उससे काफी आगे है। इसे माँसाहार के मुकाबले…
शाकाहार— एक जीवन्त आहार डॉ. चिरंजी लाल बागड़ा शाकाहार एक स्वाभाविक एवम् प्राकृतिक जीवन—शैली का नाम है। मनुष्य के मूल अस्तित्व के साथ इसका सदैव से जुड़ाव रहा है। जीवाश्म विज्ञानी डॉ. एलन वॉकर (मैरीलैंड जान हापकिंस विश्वविद्यालय) की वर्षों की खोज का निष्कर्ष है कि मनुष्य का अस्तित्व पंद्रह करोड़ वर्ष प्राचीन है तथा…
वैज्ञानिको की महान खोज : सर्वश्रेष्ठ आहार-शाकाहार शाक’ शब्द संस्कृत की ‘शक्’ धातु से बना है, जिसका अर्थ है योग्य होना, समर्थ होना, सहज करना । शक् धातु से शक्नोति इत्यादि शब्द बने हैं। शाक शब्द का अर्थ है-बल, पराक्रम, शक्ति एवं शक्त के मायने हैं -योग्य, लायक, ताकतवर। इस तरह शाकाहार का वाच्यार्थ हुआ…
मानवीय आहार शाकाहार —ताराचंद आहूजा गोधन— मासिक मुखपत्र, अगस्त २०१४ शाकाहार एक प्राकृतिक आहार है। इसके उत्पादन में न तो कहीं क्रूरता है, न बर्बरता, न शोषण और न ही किसी प्रकार की कोई हिंसा । यह किसी जीवधारी के प्राण लेकर उत्पन्न आहार नहीं है। इससे न तो वातावरण प्रदूषित होता है और न…
मानवीय आहार एवं शाकाहार अजित जैन ‘जलज’ सारांश मानवीय आहार क्या है और कैसा होना चाहिए ? इस पर प्रस्तुत शोध पत्र में विस्तृत वैज्ञानिक विवेचन किया गया है। समस्त शोध संदर्भ प्रामाणिक पत्र पत्रिकाओं से लिये गये हैं। अधिकांश वैज्ञानिक तथ्य लेखक द्वारा सर्वप्रथम संकलित कर समायोजित किये गये हैं हालाकि अनेक संदर्भों को…
एक मिसाल यह भी – सऊदी अरब में गायों का संरक्षण’ —मुजफ्फर हुसैन गाय का संरक्षण केवल उसके दूध और घी के लिए ही करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि गाय तो मनुष्य जाति की माँ है, क्योंकि उसकी दी हुई हर चीज इंसानों के लिए वरदान है। एक माँ अपने स्तन से जिस प्रकार बच्चे…
शाकाहार-सुख का आधार कोकल चन्द जैन वरिष्ठ पत्रकार, १-ट-३५, जवाहर नगर, जयपुर ३०२००४ अर्हंत वचन, अक्टूबर दिसम्बर २००५ सारांश प्रस्तुत टिप्पणी में शाकाहार के महत्व एवं विश्वव्यापी स्तर पर उसके बढ़ते चलन पर प्रकाश डाला गया है।भारतीय संविधान सभी धर्मों को सम्मान व अपने नागरिकों को पूर्ण स्वतंत्रता की गारन्टी देता है। अहिंसा सब धर्मों…