षट्खण्डागम की सिद्धान्तचिन्तामणि टीका-युग की एक अपूर्व देन
षट्खण्डागम की सिद्धान्तचिन्तामणि टीका-युग की एक अपूर्व देन अपनी मौलिक विचारधारा को आधार बनाकर स्वतन्त्र ग्रंथ का लेखन कर लेना तो सरल माना जा सकता है किन्तु पूर्वाचार्यों की सूत्ररूप वाणी का आधार लेकर उनके मनोभावों को दृष्टि में रखकर पूर्वापर आगम से अविरुद्ध वचनरूपी मोतियों की माला पिरोते हुए किसी सैद्धान्तिक सूत्रग्रंथ की टीका...