14. प्रवचनभक्ति भावना
प्रवचनभक्ति भावना प्रवचने च श्रुतदेवतासन्निधिगुणयोगदुरासदे मोक्षपदभवनारोहणसुरचितसोपानभूते भावशुद्धियुक्तोऽनुराग: भक्ति:।।१३।। श्रुतदेवता के प्रसाद से कठिनता से प्राप्त होने वाले और मोक्ष महल पर आरोहण करने के लिये सीढ़ीरूप ऐसे प्रवचन में भावविशुद्धिपूर्वक अनुराग करना प्रवचनभक्ति है । प्रवचन अर्थात् जिनेन्द्र भगवान् के मुख से निकले हुये वचन जो कि पूर्वापर दोष रहित शुद्ध होते हैं उन्हें ‘आगम’…