भगवान ऋषभदेव की निर्वाणभूमि कैलाश पर्वत (अष्टापद तीर्थ) जैसा कि कुन्दकुन्दाचार्य ने निर्वाण भक्ति में कहा है कि— ‘अट्ठावयम्मि उसहो, चंपाए वासुपुज्ज जिणणाहो । उज्जंतेणेमिजिणो, पावाएणिव्वुदो महावीरो ।। ग्रंथों में कथित वह अष्टापद अर्थात् कैलाश पर्वत तो वर्तमान में अन्य तीर्थों की भांति उपलब्ध नहीं है तथापि आगम में कैलाश पर्वत की महिमा पढ़कर जैन…
भगवान ऋषभदेव की दीक्षा एवं केवलज्ञान स्थली संगम के तट पर श्री ऋषभदेव तपस्थली तीर्थ का अनोखा संगम —पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी प्रयाग तीर्थ की प्राचीनता — भारतदेश की वसुन्धरा पर शाश्वत तीर्थ अयोध्या और सम्मेदशिखर के समान ही कर्मयुग की आदि से प्रयाग तीर्थ का प्राचीन इतिहास रहा हैं । आज से करोड़ों…
हुँमचा (हुंबुज पद्मावती)दि.जैन अतिशय क्षेत्र —ब्र. कु. इन्दू जैन (संघस्थ) श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, हुंबुज पद्मावती जिला सिमोगा में स्थित है। इसका पोस्ट हुम्बुज एवं तहसील हासानगर है। यह शिमोगा से ६० कि.मी. दूर, उडुपी से १२० कि.मी. दूर एवं हरिहर से १२५ कि.मी. दूर अवस्थित है। सड़क मार्ग द्वारा व्हाया शिमोगा, आइनुर, रिपनपेट…
जम्बूद्वीप तीर्थ के इतिहास का एक स्वर्ण अवसर तीर्थंकर जन्मभूमियों के इतिहास में यह प्रथम अवसर था, जब भगवान शांतिनाथ-कुंथुनाथ-अरहनाथ जैसे तीन-तीन पद के धारी महान तीर्थंकरों की साक्षात् जन्मभूमि हस्तिनापुर में जम्बूद्वीप स्थल पर ग्रेनाइट पाषाण की 31-31 फुट उत्तुंग तीन विशाल प्रतिमाएं अत्यन्त मनोरम मुद्राकृति में निर्मित करके राष्ट्रीय स्तर के पंचकल्याणक प्रतिष्ठा…