प्रतिक्रमण आत्म दर्शन है
प्रतिक्रमण आत्म-दर्शन है ‘प्रतिकमण’ का शब्दार्थ है- लौटना। अपने स्वभाव में लौटने का अर्थ ‘प्रतिकमण’ है। अपने स्वभाव को साधना ‘आराधना’ है और अपने स्वभाव से हटने का नाम विराधना है। आचार्य कुन्दकुन्द (समयसार, गा. ३०४) कहते हैं कि ‘जो निज शुद्धात्मा की आराधना से रहित है, वह अपराधी है।’ अपराधी का फल संसार की…