कवलाहार वाद एवं नय निक्षेपादि विचार
कवलाहार वाद एवं नय निक्षेपादि विचार ‘केवली कवलाहार करते हैं या नहीं’ यह विषय आज जितने और जैसे विवाद का बन गया है शायद दर्शनयुग के पहिले उतने विवाद का नहीं रहा होगा। ‘सयोग केवली तक जीव आहारी होते हैं’ यह सिद्धान्त दिगम्बर, श्वेताम्बर दोनों परम्पराओं को मान्य है क्योंकि—‘‘विग्गहगइमावण्णा केवलिणो समुहदो अजोगी य। सिद्धा…