02. वर्तमानकालीन तीर्थंकर स्तोत्र
(चौबीसी नं. २) वर्तमानकालीन तीर्थंकर स्तोत्र गीता छंद वृषभादि चौबिस तीर्थकर, इस भरत के विख्यात हैं। जो प्रथित जंबूद्वीप के, संप्रति जिनेश्वर ख्यात हैं।। इन तीर्थकर के तीर्थ में, सम्यक्त्व निधि को पायके। वंदूँ यहाँ प्रभु भक्ति से, अति चित्त में हरषाय के।।१।। नरेन्द्र छंद ‘वृषभ देव’ के चरण कमल को, नित शत इंद्र नमें…