03. भविष्यत्कालीन तीर्थंकर स्तोत्र
(चौबीसी नं. ३) जम्बूद्वीप भरतक्षेत्र भविष्यत्कालीन तीर्थंकर स्तोत्र गीता छंद इस भरत क्षेत्र विषे जिनेश्वर भविष्यत में होएंगे। उनके निकट में भव्य अगणित कर्मपंकिल धोएंगे।। चौबीस तीर्थंकर सतत वे विश्व में मंगल करें। मैं भक्ति से वंदन करूँ मुझ सर्वसंकट परिहरें।।१।। गीता छंद ‘श्री महापद्म’ जिनेन्द्र के, पदपद्म को जो वंदते। जगद्वंद फद निमूल कर,…