कषायप्राभृत और चूर्णि सूत्रों के कर्ता
कषायप्राभृत और चूर्णि सूत्रों के कर्ता (श्री गुणधर आचार्य एवं आचार्य श्री यतिवृषभ) श्री वीरसेनस्वामी ने अपनी जयधवला टीका के प्रारंभ में मंगलाचरण करते हुए गुणधर भट्टारक, आर्यमंक्षु, नागहस्ति और यतिवृषभ नामक आचार्यों का निम्न शब्दों में स्मरण किया- ‘‘जेणिह कसायपाहुडमणेयणयमुज्जलं अणंतत्थं। गाहाहि विवरियं तं गुणहरभडारयं वंदे।।६।। गुणहरवयणविणिग्गयगाहाणत्थोवहारिओ सव्वो। जेणज्जमंखुणा सो स णागहत्थी वरं देऊ।।७।।…