भगवान महावीर जन्मभूमि कुण्डलपुर-विश्व के क्षितिज पर वैदिक ग्रंथ मनुस्मृति के एक श्लोक से मैं इस ऐतिहासिक यात्रा का शुभारंभ करती हूँ- यत्र योगेश्वरो कृष्ण:, यत्र पार्थो धनुर्धर:। तत्र श्रीविजयोभूतिधु्र्रवानीतिर्मतिर्मम।। अर्थात् धृतराष्ट्र के समीप बैठे एक संजय नामक दिव्यज्ञानी पुरुष ने कुरुक्षेत्र में चल रहे कौरव-पांडव के युद्ध को अपने दिव्यचक्षु से देखकर कहा…
भवनवासी देव भवनवासी देवों के स्थान-पहले रत्नप्रभा पृथ्वी के ३ भाग बताये जा चुके हैं। उसमें से खर भाग में राक्षस जाति के व्यंतर देवों को छोड़कर सात प्रकार के व्यंतर देवों के निवास स्थान हैं और भवनवासी के असुरकुमार जाति के देवों को छोड़कर नव प्रकार के भवनवासी देवों के स्थान हैं। रत्नप्रभा के…
भू-भ्रमण का खण्डन (श्लोकवार्तिक तीसरी अध्याय के प्रथम सूत्र की हिन्दी से) कोई आधुनिक विद्वान कहते हैं कि जैनियों की मान्यता के अनुसार यह पृथ्वी वलयाकार चपटी गोल नहीं है। किन्तु यह पृथ्वी गेंद या नारंगी के समान गोल आकार की है। यह भूमि स्थिर भी नहीं है। हमेशा ही ऊपर नीचे घमती रहती है…
देववन्दना प्रयोग विधि त्रिसन्ध्यं वन्दने युञ्ज्याश्चैत्यपंचगुरुस्तुती। प्रियभत्तिं बृहद्भक्तिष्वन्ते दोषविशुद्धये ।।१।। तथा- जिणदेववन्दणाए चेदियभत्ती य पञ्चगुरुभत्ती ।।१/२।। ऊनाधिक्यविशुद्ध्यर्थं सर्वत्र प्रियभक्तिका ।।१/२।। तीनों सन्ध्या सम्बन्धी जिनवन्दना में चैत्यभक्ति और पञ्चगुरुभक्ति तथा सभी बृहद्भक्तियों के अन्त में वन्दनापाठ की हीनाधिकता रूप दोषों की विशुद्धि के लिये प्रियभक्ति-समाधिभक्ति करना चाहिये । इस देववन्दना में छह प्रकार का कृतिकर्म भी…
चोरी करने से हानि किसी की गिरी पड़ी भूली हुई वस्तु को उठा लेना चोरी है। चोरी करने से दोनों लोकों में अपयश एवं महान दु:ख उठाना पड़ता है। किसी के यहाँ डाका डाल कर धोखा देकर उनकी वस्तुओं को हड़पना चोरी है। चोरी से अनेकों हानियाँ होती हैं। एक बहुचर्चित कथा इस प्रकार…
कुण्डलपुर-कुण्डलपुर-कुण्डलपुर -रामजीत जैन (एडवोकेट) लश्कर (ग्वालियर) म.प्र. सन् १९६३ की बात है, हमने टकसाल गली, दानाओली लश्कर ग्वालियर में एक पुराना मकान क्रय किया था। इससे पूर्व किराये के मकान में रहते थे। मकान पुराना होने से सुधार एवं मरम्मत आदि का काम चल रहा था। लकड़ी का काम बढ़ई कर रहा था। बढ़ई को…
विदेशी विद्वानों के अभिमत १. सुप्रसिद्ध संस्कृतज्ञ प्रोपेसर डॉ. हर्मन जेकोबी एम. ए., पी. एच, डी. बोन जर्मनी लिखते हैं— जैन धर्म सर्वथा स्वतंत्र धर्म है। मेरा विश्वास है कि वह किसी का अनुकरण नहीं है और इसीलिए प्राचीन भारतवर्ष के तत्वज्ञान का और धर्म प्रद्धति का अध्ययन करने वालों के लिए वह बड़े महत्व…
सीता-सीतोदा नदी के सरोवरों में कमलों में जिनमंदिर जमवंमेघगिरीदो पंचसया जोयणाणि गंतूणं। पंचदहा पत्तेक्वं सहस्सदलजोयणंतरिदा१।।२०८९।। उत्तरदक्खिणदीहा सहस्समेक्वं हवंति पत्तेक्वं। पंचसयजोयणाइं रुंदा दसजोयणवगाढा।।२०९०।। णिसहकुरुसूरसुलसा बिज्जूणामेह होंति ते पंच। पंचाणं बहुमज्झे सीदोदा सा गदा सरिया।।२०९१।। होंति दहाणं मज्झे अंबुजकुसुमाण दिव्वभवणेसुं। णियणियदहणामाणं णागकुमाराण वासा वि।।२०९२।। अवसेसवण्णणाओ जाओ पउमद्दहम्मि भणिदाओ। ताओ च्चिय एदेसुं णादव्वाओ वरदहेसुं।।२०९३।। एक्केक्कस्स दहस्स य पुव्वदिसाए…