प्रकृति का प्रकोप भी उसे परास्त न कर सका
प्रकृति का प्रकोप भी उसे परास्त न कर सका (काव्य इक्कीस से सम्बन्धित कथा) प्रकृति चारों ओर शृंगार से ओत-प्रोत थी। सरिताएँ लहराती-इठलाती हुई अपने असीम प्रवाह से बह रही थीं बड़े-बड़े पर्वतराज अपना मोहक हरा परिधान पहिन कर दर्शकों को मोह लेते थे। निर्जन वन-खंड में एक ओर पपीहे को पी-पी पुकार और मेंढकों…