महापुराण प्रवचन-३
महापुराण प्रवचन-३ श्रीमते सकलज्ञान, साम्राज्य पदमीयुषे। धर्मचक्रभृते भत्र्रे, नम: संसारभीमुषे।। भव्यात्माओं! महापुराण द्वादशांग का ही अंश है, इसका सीधा संबंध भगवान महावीर की वाणी से है। इसमें प्रारंभिक भूमिका के पश्चात् सर्वप्रथम भगवान ऋषभदेव का दश भवों का वर्णन है, वे ऋषभदेव वैâसे बने? इस बात को उनके दश अवतारों से जानना है। दिव्याष्टगुणमूर्तिस्त्वं, नवकेवललब्धिक:।…