[[श्रेणी:ज्ञानमती_माताजी_की_आत्मकथा]] ==हस्तिनापुर में आचार्य संघ व माताजी संघ का आगमन==हस्तिनापुर में संघ का आगमन-दिल्ली चातुर्मास और निर्वाणोत्सव के मंगल कार्यक्रम सम्पन्न होने के बाद आचार्यश्री धर्मसागर जी महाराज को ससंघ हस्तिनापुर तीर्थक्षेत्र के दर्शन कराना था। मेरठ के अनेक श्रीमान् बोरी भर नारियल लेकर भक्तिभाव से श्रीफल चढ़ाकर प्रार्थना करने के लिए आ गये। इसी…
चतुर्विंशति गणिनी व्रत चैत्र शु. प्रतिपदा को उपवास करके जिनमंदिर में जाकर चौबीस तीर्थंकर प्रतिमा का महाभिषेक करके श्रुतस्वंâध यंत्र, गणधर यंत्र आदि का भी अभिषेक करें। चौबीस तीर्थंकरों की चौबीस गणिनी के चरणों का अभिषेक और पूजा करें। पुन: निम्न मंत्र की माला करें- मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अर्हं ऋषभादिवर्धमानान्त्य वर्तमान तीर्थंकरेभ्यो…
क्या जीव की रक्षा के भाव मिथ्यात्वरूप हैं ? जो पुरुष१ ऐसा मानता है कि मैं परजीव को मारता हॅूं और परजीवों द्वारा मैं मारा जाता हूँ वह पुरुष मूढ़ है, अज्ञानी है और जो इससे विपरीत है वह ज्ञानी है क्योंकि जीवों का मरण तो आयु के क्षय से होता है ऐसा जिनेन्द्रदेव ने…
फैशन व सौन्दर्य प्रसाधनों के लिए जीव हत्या क्यों ? मानव केवल अपने स्वाद व स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से ही जीव हत्या नही करता, अपितु जाने अनजाने कुछ ऐसी फैशन की वस्तुओं व सौन्दर्य प्रसाधनों आदि का उपभोग भी कर लेता है जिनके बनाने व जांच आदि प्रयोगों में किसी जीव की हत्या होती…
विन्ध्यगिरि पर खड़े गोम्मटेश बाहुबली डग भरने को हैं कर्नाटक राज्य की राजधानी बैंगलूर से लगभग १८५ किलोमीटर दूर श्रवणबेलगोल नगर की विन्ध्यगिरि पहाड़ी पर भगवान् गोम्मटेश बाहुबली की मूर्ति पिछले १०२५ वर्षों से कायोत्सर्ग मुद्रा में खड़ी है। अपनी उतंगता, भव्यता और सौम्यता में यह अनुपम और अद्वितीय है। हिमालय के पर्वत—शिखर एवरेस्ट जैसी…