21. गृहस्थ के ६ आर्यकर्म
गृहस्थ के ६ आर्यकर्म आदिपुराण भाग २ में श्रावकों के ६ आर्यकर्म का वर्णन है— इज्यां वार्तां च दत्ति च स्वाध्यायं संयमं तपः।श्रुतोपासकसूत्रत्वात् स तेभ्यः समुपादिशत्।।२४।। अर्थ — भरत ने उन्हें अर्थात् व्रती श्रावकों को उपासकाध्ययनांग से इज्या, वार्ता, दत्ति, स्वाध्याय, संयम और तप का उपदेश दिया। अन्यत्र ग्रन्थों में श्रावकों की षट्क्रियायें मानी हैं— …