17. सम्यक्त्व मार्गणा
सम्यक्त्व मार्गणा (सत्रहवाँ अधिकार) सम्यक्त्व का स्वरूप छप्पंचणवविहाणं, अत्थाणं जिणवरोवइट्ठाणं। आणाए अहिगमेण य, सद्दहणं होइ सम्मत्तं।।१४९।। षट्पंचनवविधानामर्थानां जिनवरोपदिष्टानाम्। आज्ञया अधिगमेन च श्रद्धानं भवति सम्यक्त्वम्।।१४९।। अर्थ—छह द्रव्य, पाँच अस्तिकाय, नव पदार्थ इनका जिनेन्द्रदेव ने जिस प्रकार से वर्णन किया है उस ही प्रकार से इनका जो श्रद्धान करना उसको सम्यक्त्व कहते हैं। यह दो प्रकार का…