श्रद्धा से लेकर क्षमा तक!
श्रद्धा कदाचित् धर्म—श्रवण का अवसर पर लेने पर भी उसमें श्रद्धा होना अत्यंत दुर्लभ है। धर्म की और ले जाने वाली सही मार्ग को जानकर भी अनेक लोग उस मार्ग से भ्रष्ट हो जाते हैं। ज्ञान का अंकुश उच्छृंखल मन एक उन्मत्त हाथी की भाँति है लेकिन इसे ज्ञान रूपी अंकुश से वश में किया…