गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा ग्रंथों का संक्षिप्त परिचय द्रव्यानुयोग!
गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा ग्रंथों का संक्षिप्त परिचय द्रव्यानुयोग १९४. अष्टसहस्री प्रथम भाग- जैन न्यायदर्शन का अतिप्राचीन ग्रंथ है। सर्वप्रथम उमास्वामी के मंगलाचरण पर टीका रूप में आचार्य समंतभद्र स्वामी ने ११४ कारिकाएं लिखकर ‘‘आप्त मीमांसा’’ नाम से रचना की। इन्हीं कारिकाओं पर आचार्य अकलंकदेव ने अष्टशती नाम से टीका लिखी। पुन: कारिकाओं एवं…