प्रतिष्ठापाठ अथ मन्दिर निर्माणविधिः (श्री वसुविंदु आचार्य अपरनाम जयसेनाचार्य विरचित) अब मन्दिर बनाने की विधि कहते हैं- शुद्ध प्रदेशे नगरेऽप्यटव्यां नदीसमीपे शुचितीर्थभूम्यां। विस्तीर्णशृंगोन्नतकेतुमालाविराजितं जैनगृहं प्रशस्तं।।१२५।। शुद्ध स्थान में, नगर में, वन में, नदी के समीप में तथा तीर्थ की भूमि में विस्तारयुक्त शिखर और केतु की पंक्ति से शोभायमान ऐसा जिनभवन प्रशस्त होता है। शुद्धे…
जैन गणित एवं त्रिलोक विज्ञान पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार International Seminar on Jaina Mathematics & Cosmology जैन साहित्य ज्ञान विज्ञान का अथाह सागर है तथा आधुनिक युग की अनेक वैज्ञानिक उपलब्धियों के मूल सूत्र एवं विचार प्रच्छन्न रूप से प्राकृत साहित्य में निहित है। वनस्पतियों में जीवन अथवा जल में जीवराशि अथवा मापन की तालिकाएँ अथवा…
तेरहद्वीप जिनालय व्रत(मध्यलोक जिनालय व्रत) इस व्रत में ४५८ उपवास या एकाशन करना है। इसमें तिथि का कोई नियम नहीं है। व्रत के दिन तेरहद्वीप के अकृत्रिम जिनमंदिर की पूजा करके प्रथम समुच्चय जाप्य करना, पुन: एक-एक मंत्र की जाप्य करना। ४५८ व्रतों में क्रम से एक-एक जाप्य करना है। यह मंत्र सर्व मनोरथों को…
भगवान महावीर की उपसर्ग विजयभूमि ऐतिहासिक तीर्थ उज्जैन -उमेश जैन, फिरोजाबाद भारतीय भूभाग के वर्तमान में मध्य प्रदेश में क्षिप्रा नदी के तट पर बसी उज्जैन नगरी भरत क्षेत्र के इस आर्यावत्र्त की अतिप्राचीन नगरियों में से एक है। इसके अतीत की प्रमाणिकता पौराणिक ग्रंथों और इतिहास मेें वर्णित कथानकों, घटनाओं से प्रमाणित है। जैन,…
तत्वार्थसूत्र में जीव विज्ञान की अवधारणाओं का निरूपण सारांश जैन दर्शन एवं विज्ञान के प्रतिबिम्ब ‘तत्वार्थसूत्र’ में जीव विज्ञान की मूलभूत एवं आधुनिक अवधारणाओं से अत्यधिक तथा आश्चर्यजनक समानतायें परिलक्षित होती हैं । पारिस्थितिकी, जैव भूगर्भीय चक्र, वर्गीकरण विज्ञान, वनस्पतियों का महत्व, जैव विविधता संरक्षण तथा सूक्ष्म जीवों का महत्व इत्यादि पर इस ग्रन्थ में…