मनोकामना सिद्धि महावीर व्रत एवं मंत्र व्रत विधि— जैनशासन में पर्वों की भांति ही अनादिकाल से व्रतों की परम्परा भी चली आ रही है जिनमें दो प्रकार के व्रत प्रचलित हैं-१. सोलहकारण, दशलक्षण, पंचमेरु, आष्टान्हिका, रत्नत्रय आदि पर्वों में किये जाने वाले व्रत अनादि कहलाते हैं तथा रोहिणी, रविव्रत, पंचकल्याणक आदि व्रत सादि कहलाते हैं।…
बृहद्दीक्षाविधि पूर्वदिने भोजनसमये भाजनतिरस्कारविधिं विधाय आहारं गृहीत्वा चैत्यालये आगच्छेत् ततो बृहत्प्रत्याख्यानप्रतिष्ठापने सिद्धयोगभक्ती पठित्वा गुरुपाश्र्वे प्रत्याख्यानं सोपवासं गृहीत्वा आचार्य शान्ति-समाधिभक्ती: पठित्वा गुरो: प्रणामं कुर्यात्। अथ दीक्षादाने दीक्षादातृजन: शान्तिक-गणधरवलयपूजादिकं यथाशक्ति कारयेत् । अथ दाता तं स्नानादिकं कारयित्वा यथायोग्यालज्ररयुत्तंकं महामहोत्सवेन चैत्यालये समानयेत्। स देवशास्त्रगुरुपूजां विधाय वैराग्य – भावनापर: सर्वैै: सह क्षमां कृत्वा गुरोरग्रे तिष्ठेत। ततो गुरोरग्रे संघस्याग्रे च…
”चैत्यभक्ति सम्बन्धी प्रश्नोत्तरी ” प्रस्तुति – आर्यिका गरिमामती माताजी प्रश्न-१ – चैत्यभक्ति के रचयिता कौन है ? उत्तर – चैत्य भक्ति के रचयिता श्री गौतम स्वामी गणधर देव है “प्रश्न-२- किसको प्रत्यक्ष करके गौतम स्वामी ने स्तुति की ?उत्तर – महावीर स्वामी को प्रत्यक्ष करके गौतम स्वामी ने स्तुति की “प्रश्न-३- कौनसा धर्म जयवंत हो…
चौंसठ ऋद्धि व्रत विधि चोसठ ऋद्धि मंत्र की अपेक्षा चौंसठ व्रत करना चाहिए। व्रत के दिन उपवास करना उत्तम, अल्पाहार फल, दूध, मेवा या जल आदि लेना मध्यम और एक बार शुद्ध भोजन करना जघन्य विधि है। प्रत्येक माह में अष्टमी, चतुर्दशी आदि किसी भी दिन व्रत कर सकते हैं। व्रत पूर्ण कर ‘चौंसठ ऋद्धि…
जीव के पंच परिवर्तन जीव के दो भेद हैं-संसारी और मुक्त। ‘‘चतुर्गतौ संसरणं संसार:’ चतुर्गति में संसरण करना-परिभ्रमण करना इसका नाम संसार है। ‘संसार एशां सन्ति ते संसारिण:’ यह संसार जिन जीवों के पाया जाता है, वे संसारी कहलाते हैं। संसार के ५ भेद हैं-द्रव्य संसार, क्षेत्र संसार, काल संसार, भव संसार और भाव संसार।…
अत्तिमब्बे डॉ. हंपा नागराजय्य अत्तिमब्बे ने धार्मिक कार्यों में बेशुमार धन बहाया। वह अपने पूर्वजों के रास्ते पर चली तथा उनसे भी श्रेष्ठ कार्य आपने किया। पूर्वजों से भी अधिक मात्रा में जैन धर्म की प्रभावना की आपकी श्रेष्ठता के बारे में रन्न कवि ने अपनी रचना में इस प्रकार लिखा है। पिरियं बूतुगं आतनिं…
मनोवती की दर्शन प्रतिज्ञा (सर्वप्रथम एक नृत्य से कार्यक्रम का शुभारंभ करें) सूत्रधार—सेठ हेमदत्त के घर की सजावट आज राजमहल से कम नहीं है। सेठानी हेमश्री भी अत्यधिक प्रसन्न हैं क्योंकि उनके सातवें और सबसे छोटे लाडले पुत्र की शादी होकर अत्यन्त रूपवती और गुणवान बहू से उनका आँगन महक उठा है। बल्लभपुर शहर के…