जैन शिल्प विधान का स्वरूप!
जैन शिल्प विधान का स्वरूप प्राचीन कलाओं में भारत में मूर्तिकला सर्वाधिक लोकप्रिय थी । यह मानव जीवन के अभिन्न अंग के रूप में लौकिक परम्पराओं में व्याप्त थी । भारतीय जीवन के विभिन्न .आदर्शो की प्रगति ही मूर्तिकला का उद्देश्य रहा है । मूर्तिकला में हमारी धार्मिक, दार्शनिक एवं सांस्कृतिक परम्पराएँ समाहित हैं ।…