20. उपयोग प्ररूपणासार
उपयोग प्ररूपणासार जीव का जो भाव वस्तु को ग्रहण करने के लिये प्रवृत्त होता है उसको उपयोग कहते हैं। इसके दो भेद हैं—एक साकार दूसरा निराकार। साकार को ज्ञान और निराकार को दर्शन कहते हैं। ज्ञान के पाँच भेद हैं और अज्ञान के तीन भेद हैं। मति, श्रुत, अवधि, मन:पर्यय, केवलज्ञान, कुमति कुश्रुत, कुअवधिज्ञान। दर्शन…