आचार्य वीरसागर स्मृति ग्रंथ के आलेख सामयिक प्रश्नोत्तर प्रश्न १—क्या साधु मन्दिर, धर्मशाला या घर आदि में ठहर सकते हैं ? उत्तर—ठहर सकते हैं। चतुर्थ काल में भी ठहरते थे, ऐसे उदाहरण मौजूद हैं। यथा—‘‘एक समय सुरमन्यु, श्रीमन्यु, श्रीनिचय, सर्वसुन्दर, जयवान, विनयलालस और जयमित्र—ये सप्त ऋषि अयोध्या में आहारार्थ आये। ‘‘आहार के अनन्तर शुद्ध निर्दोष…
भगवान पार्श्वनाथ : संक्षिप्त परिचय इस जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र संबंधी काशी देश में बनारस नाम का एक नगर है। जहाँ राजा अश्वसेन (विश्वसेन) राज्य करते थे। उनकी रानी का नाम वामा (ब्राह्मी) था। जब उन सोलहवें स्वर्ग के इन्द्र की आयु छह मास की अवशेष रह गई थी, तब इन्द्र की आज्ञा से कुबेर ने…
सर्वदोषप्रायश्चित्त व्रत विधि यह व्रत ३३ प्रकार की अत्यासादना को दूर करके आत्मशुद्धि के लिए किया जाता है। इसमें ३३ व्रत होते हैं। प्रथमत: समुच्चय मंत्र है— पुन: पाँच महाव्रत के ५, पाँच समिति के ५, तीनगुप्ति के ३ ऐसे १३ व्रत हैं। पाँच अस्तिकाय के ५, छह षट्कायिक जीव के ६ और नव पदार्थ…
श्री पार्श्वनाथ दि. जैन अतिशय क्षेत्र पटेरिया जी —बालचंद्र जैन (मंत्री), पटेरिया-गढ़ाकोटा (सागर) म.प्र. जैन तीर्थ पटेरिया सागर से ४८ किमी. दमोह से ३० किमी. एवं जबलपुर से १४० किमी. की दूरी पर स्थित है। निकटवर्ती रेलवे स्टेशन सागर, दमोह एवं पथरिया है। गढ़ाकोटा बस स्टैण्ड से यह तीर्थ १ किमी. दूर है। चूँकि यह…
[[श्रेणी:वास्तु]] [[श्रेणी:विशेष_आलेख]] ==[[मानस्तम्भ]] का स्वरूप== आलेख प्रस्तुति : राजकुमार कोठारी- जयपुर right”300px”]] (मंदिर निर्माण के साथ [[मानस्तम्भ]] की रचना का समावेश होता रहा है । यह निर्माण विधि सम्मत हो इस बात को ध्यान में रखकर समाज के मार्गदर्शन के लिये यह लेख प्रस्तुत किया जा रहा है । मैं आभारी हूँ पं. हंसमुख जी…
मानव जीवन के विकास में वनस्पति की भूमिका वनस्पति मानव समाज के लिये एक ऐसी मूक सेविका है, जो सेवा के बदले में हमसे कुछ नहीं चाहती। मानव जीवन में वनस्पति का इतना महत्वपूर्ण योगदान है कि हम वनस्पति के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। जीवन की प्रत्येक आवश्यकता वनस्पति से…