22. जैनशासन में कर्म सिद्धान्त
जैनशासन में कर्म सिद्धान्त सुदर्शन—गुरूजी! कर्म किसे कहते हैं ? गुरूजी—जिसके द्वारा जीव परतंत्र किया जाता है वह कर्म है। इस कर्म के निमित्त से ही यह जीव इस संसार में अनेकों शारीरिक, मानसिक और आगंतुक दु:खों को भोग रहा है। सुदर्शन—इस कर्म का सम्बन्ध जीव के साथ कब से हुआ है ? गुरूजी—बेटा! जीव…