मूलाचार की दृष्टि में -प्रत्याख्यान की विवेचना!
मूलाचार की दृष्टि में -प्रत्याख्यान की विवेचना ‘मूलाचार’ एवं भगवती आराधना’ दिगम्बर मुनि के आचार का अथवा श्रमणाचार का संविधान है। ‘श्रावकाचार’ के अष्ट मूलगुण देश काल की परिस्थिति के अनुसार लचीले रहे परन्तु ‘श्रमणाचार’, भगवान् महावीर के समय से अपने मूल स्वरूप में विद्यमान है। इसमें परिर्वतन या लचीलापन की कोई बात हमारे पूर्वाचार्यों…